Dard Bhari Shayari in Hindi 2022 {Breakup Shayari} Full HD Image
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जो चकना चूर हो चूका है इश्क़ में
मै वो इश्क़ का टुटा हुआ ख्वाब हूँ
ज़्यादा मोहब्बत का ज्ञान मत देना मुझे
क्यों की मै इश्क़ में तुम्हारा भी बाप हूँ
अरे जान मेरे आँखों में जो दर्द है
उनकी मीठी बातों में वो बात नहीं
और क्या कहा मेरे जितना चाह लेंगे तुझे
अरे पगली इतनी इन नमूनों की औकात नही
मेरे साथ तुम रहोगी तो सारी बलाए टल जायेगी
तुझे छूना तो चाहता हूँ पर उंगलिया जल जायेगी
मोहब्बत को बुरा क्यों कहूं जब किस्मत ही मेरी ख़राब है
अरे यार वो जा रही है जाने दो मेरे पास मेरी शराब है
अरे जनाब वो मोहब्बत के नशे में झूठे ख्वाब दिखा गयी
मैं क्या बताऊ कैसी थी उसकी अदाए पानी में आग लगा गयी
दोस्तों बहते अश्ख़ो को थाम लाया हूँ
अपनी किताब में लिख कर उसका नाम लाया हूँ
उस से बिछड़ने की दास्ताँ भी सुनाऊंगा
फिलहाल तो नशे में हूँ और साथ जाम लाया हूँ
जो रूठा है मुझसे , रूठा रहे यह मेरा जहान थोड़े ना है
मैं सोया हूँ तेरी बाँहों मैं मगर यह मेरा मकान थोड़े ना है
अरे जनाब जब मुझे ज़िन्दगी समझ आयी
तब मैंने अपनी मज़िल चुन ली थी
आज कल चर्चा है लोगो में मेरे चुप रहने का
अरे जब बोलता था तब तुमने कोनसी सुन ली थी
जिनको तुम्हारी रियल लाइफ से फर्क नहीं पड़ता
उनको तुम्हारे आसुंओ से क्या फर्क पड़ेगा
तुम परेशान ना हो मेरी जान
हम तेरी ज़िन्दगी से ऐसे चले जाएंगे
जैसे कोई हादसे मैं जान
बहुत दिनों बाद लोटे है आपके शहर में
बस एक आपके सिवा यहां कोई नहीं बदला
अरे यारो मेरे प्यार की बस दो ही कहानी है
वो दिल तोड़ कर खुश है और मेरी आँखों मैं पानी है
जनाब वो खुश हैं पर हम से नहीं
यार वो नाराज हैं पर हमसे नहीं
कैसे कह दू उनके दिल में मोहब्बत नहीं
मोहब्बत तो हैं पर हमसे नहीं
अरे जनाब झलक जाने दो पैमाने को
यह चंद महखाने भी क्या याद रखेंगे,
आया था कोई दीवाना अपनी मोहब्बत को भूलाने,
यह वो हुसन वाले भी याद रखेंगे
अरे जान नाराजगी चाहे कितनी भी क्यों ना हो,
पर तुम्हे छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नहीं रखते
हम किसी इंसान से तब तक लड़ते हैं,
जब तक उससे प्यार की उम्मीद होती है..
जिस दिन वो उम्मीद खत्म हो जाती है,
उस दिन लड़ना भी खत्म हो जाता है
परिन्दें इतना ऊंचा उड़ गए मैं इन्हे देख नहीं पा रहा,
यह रिश्ते इतना बिखर गए मैं इन्हे समेट नहीं पा रहा |
जिस राह की मंज़िल ना हो वो सफर किस बात का
और मंज़िल तक साथ ना दे वो हमसफ़र किस बात का |
जहां मुरादे पूरी ना हो दिल की, वो दर किस काम का
जहां अपने ही ना रहते हो, वो घर किस काम का |
एक तो माशुखा ऊपर से अमीर भी ढूंढ रहे हो
सहाब चूहे दानी में पनीर ढूंढ रहे हो |
आपको इश्क़ भी करना है और तबाई से भी डरते हो
बड़े मासूम हो जनाब कैसी बातें करते हो |
मैं दूर से तोबा कर लुँगा अगर कोई तुम सा मिला कभी
तुम रहम ज़रा सा खा लेना अगर कोई हम सा मिला कभी |
इन आँखों में कभी आग थी
अब जो पानी है सिर्फ तेरी मेहरबानी है |
अपने घर का दरवाज़ा छोटा ही रखना जनाब
जो झुक कर आया समझ लेना वो ही अपना है |
अरे कौन कहता की मोहब्बत बर्बाद करती है
अगर निभाने वाला मिल जाए तो दुनिया याद करती है |
कभी दर्द है तो दवा नहीं,
जो दवा मिली तो शिफा नहीं।
वो ज़ुल्म करते हैं इस तरह,
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं।
कौन कहता है नफ़रतों मैं दर्द होता है
कुछ मोहब्बत बड़ी कमाल की होती है
तुम मुझे अपना बना ले या मुझे छोड़ दे
जो भी तेरा फ़ैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा
कभी सोचा न था के वो मुझे तनहा कर जायेगा
जो अक्सर परेशां देख कर कहता था मैं होना
चीज़ बेवफ़ाई से बढ़कर क्या होगी;
ग़म-ए-हालात जुदाई से बढ़कर क्या होगी;
जिसे देनी हो सज़ा उम्र भर के लिए;
सज़ा तन्हाई से बढ़कर क्या होगी।
लबों पे नाम है जिनका उन्हें कुछ भी खबर नहीं…
गजल में दर्द है जिनका उन्हें कुछ भी खबर नहीं…
लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद…
जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…
वो देता है दर्द बस हमी को;
क्या समझेगा वो इन आँखों की नमी को;
चाहने वालों की भीड़ से घिरा है जो हर वक़्त;
वो महसूस क्या करेगा बस एक हमारी कमी को।
दिल की हालात बताई नहीं जाती;
हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती;
बस एक याद बची है उनके चले जाने के बाद;
हमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती।
आजाद कर देंगे तुम्हें अपनी चाहत की कैद से…
मगर वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी…
ऐ खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर…
या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर…
मोहब्बत करने वालों को वक्त कहाँ जो गम लिखेंगे…
ऐ-दोस्तों कलम इधर लाओ…
इन बेवफाओं के बारे में हम लिखेंगे…
आज हम जिस से बात करते हुए खुद को भूल जाते है ना
एक दिन वो ही शक़्स वक़्त के साथ हमे भुला देता है |
अरे वो लड़की थी या थी गटबंदन की सरकार कोई
वो शाम तलब तक तो मेरी थी और सुबह पलट गयी |
कुछ तो मजबूरियां मेरी भी रही होगी, जो सफर मैंने अधूरा छोड़ा है
और तुम तो मेरी पहली मोहब्बत थी, आखिर तुमने तो यार दूसरा छोड़ा है
दुआ करना दम भी उसी तरह निकले,
जिस तरह तेरे दिल से हम निकले.
हर पल यही सोचता रहा,
के कहा कमी रह गयी थी मेरी चाहत में;
उसने इतनी शिदत्त से मेरा दिल तोड़ा,
के आज तक नहीं संभल पाए.
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम;
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम;
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला;
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम.
हक़ीक़त जान लो जुदा होने से पहले,
मेरी सुन लो अपनी सुनाने से पहले;
ये सोच लेना भुलाने से पहले,
बहुत रोयी हैं ये आँखें मुस्कुराने से पहले.
न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता,
न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता,
क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे,
शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता.
कितना दर्द भरा था उनका मुझे छोड़ के जाना,
सुना भी कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं,
कुछ इस तरह बरबाद हुए उनकी मोहब्बत में,
लौटा भी कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीं.
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये,
तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये,
कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें,
और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये.
न तस्वीर है तुम्हारी जो दीदार किया जाये,
न तुम हो मेरे पास जो प्यार किया जाये,
ये कौन सा दर्द दिया है तुमने ऐ सनम,
न कुछ कहा जाये न तुम बिन रहा जाये.
उसने दर्द इतना दिया कि सहा ना गया,
उसकी आदत सी थी इसलिए रहा न गया,
आज भी रोती हूं उसे दूर देख के,
लेकिन दर्द देने वाले से यह कहा ना गया.
मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे,
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे,
तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे.
कभी जो कहते थे तुम्हे कभी ना रोने देंगे,
आंसू भरी आंख लेकर तुझे कभी सोने देंगे,
आखिर वहीं हमारी आंख का आंसू बन गए,
जो कहते थे तुमको कभी खोने ना देंगे.
रोज़ उदास होते है हम,
और रात गुजर जाती है,
कहने को तो जी रहे है लेकिन,
हर पल हर लम्हा सांस निकलती जाती है.
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़,
आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़,
गम का कभी भी हो सकता है आगाज़,
और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास.
तुझे चाहा भी था तुझे पाना भी था,
तेरे साथ खुशी का गीत गाना भी था,
लेकिन तुमने मुझे कुछ इस तरह धोखा दिया,
फिर टूटे हुए दिल को समझाना भी था.
प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है,
प्यार नहीं किया तो कर के देख लो यारों,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है.
ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं,
दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,
जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत है.
प्यार था तुमसे चाहत भी थी,
तुमसे की हुई शरारत भी थी,
लेकिन शायद तुम ही मुझे समझ नहीं पाए,
मोहब्बत थी लेकिन जाहिर ना किया शराफत थी मेरी.
कह कर तुम बता नहीं सकते,
प्यार को अपने जता नहीं सकते,
फिर क्या फायदा तुम्हारी दोस्ती का,
जब एक भी वादा तुम निभा नहीं सकते.
वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी.
दर्द बहुत हुआ दिल के टूट जाने से,
कुछ न मिला उनके लिए आँसू बहाने से,
वो जानते थे वजह मेरे दर्द की,
फिर भी बाज़ न आये मुझे आजमाने से.
एक नया दर्द मेरे दिल में जागा कर चला गया,
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया,
जिसे ढूढ़ते रहे हम लोगो की भीड़ में,
मुझ से वो अपने आप छुपा कर चला गया.
छिपा कर दर्द अपनी हंसी में,
मै अंदर से खोखला हो रहा हूं,
क्या सुन सकता है तू मेरी आवाज़,
मै आज भी सिर्फ तेरे लिए रो रहा हूँ.
दर्द कितना है बता नहीं सकते,
ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते.
तू सुबह की किरण बन कर मुझे सताती है,
मुझे अपने गहरे दुख का एहसास दिलाती है,
कितनी भी कोशिश की तुझे भुलाने की,
तेरी याद फिर भी मुझे बहुत रुलाती है.
गुलशन की बहारों पे सर-ए-शाम लिखा है,
फिर उस ने किताबों पे मेरा नाम लिखा है,
ये दर्द इसी तरह मेरी दुनिया में रहेगा,
कुछ सोच के उस ने मेरा अंजाम लिखा है.
अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे,
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे,
उनसे क्या गिला करें, भूल तो हमारी थी,
जो बिना दिल वालों से ही दिल लगा बैठे.
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